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रेडलाइट एरिया
श्यामबाबू ने रात के आठ बजे दिल्ली के रेडलाइट एरिया में सड़क के किनारे, कोई कोना देखकर अपनी गाड़ी पार्क की और दस मिनट तक गाड़ी मेंही बैठा रहा और बैठे-बैठे यही सोचता रहा कि उसके जिस्म की हवस, उसकी ज़रूरत या फिर दूसरों पर ख़ुद को उजागर करने का डर उसे यहाँ लेकर आया है। अब उसने अपना चश्मा नाक से थोड़ा ऊँचा किया, एक बार खुद को शीशे में देखा, फिर धीरे से गाड़ी का दरवाजा खोला और सड़क पर चलने लगा।
उसने चारों और देखा तो उसे रंग बिरंगी लड़कियाँ नज़र आने लगी। किसी के कपड़े चमकीले है तो किसी का मेकअप। कोई उसे ईशारा करकर अपनी तरफ बुला रही है तो कोई उसे आवाज़ लगा रही है। अब उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी, उसका मन किया कि ज़ोर से कहे कि” कोई है जो मुझे लूट सकता है।“ मगर तभी उसके कंधे पर एक हाथ आया। उसने अपने दाई और देखा तो एक आदमी, मुँह में गुटका दबाए अपनी बत्तीसी दिखा रहा है। श्याम ने उसका हाथ हटाया और सख्ती से पूछा,
कौन हो तुम?
साहब !! पता है न कहाँ आए हो। बताओ, कैसी तितली चाहिए।
तितली ??? कौन तितली? मुझे तितली नहीं, लड़की चाहिए। वह ज़ोर से हंसा ।
साहब एक ही बात है....
नहीं एक बात नहीं है, यहाँ पर जो लड़कियाँ है, उनकी भी पूरी इज़्ज़त है। अब तो सुप्रीम कोर्ट भी वेश्यावृति को एक पेशा मानती है। इसलिए काम करने वाले को आदर देना सीखो।
क्या साहब!! तुम तो पढ़े-लिखें हो, क्या काम करते हो?
तुमसे मतलब ??
ठीक है, नहीं बताना तो मत बताओ, पर तुम्हारे लिए, चाँदनी सही रहेगी।
कितने पैसे ???
दस हज़ार !!! आठ वो लेगी और दो हज़ार मेरी कमीशन, वो भी सिर्फ एक घंटे के।
दस हज़ार ज़्यादा है!!!!
मैंने तुम्हें तुम्हारे टाइप की बताई है, बाकी दलाल तो तुम्हें लूट भी लेंगे और तुम्हें मज़ा भी नहीं आएगा। यह कहकर वह जाने लगा तो श्याम ने उसे रोकते हुए कहा, ठीक है, ऑनलाइन ले लो।
उसने पैसे ट्रांसफर कर दिए और थोड़ी देर में वे दोनों चांदनी के कमरे के बाहर पहुँच गए। उसने देखा कमरा पहले फ्लोर पर है। आसपास ताला लगा हुआ है। फ्लोर के दोनों और सीढ़ियाँ है। थोड़ी देर बाद वो आदमी बाहर आया और श्याम को मुस्कुराते हुए बोला, “पाँच मिनट बाद चले जाना।“ अब उसने क्या कहना था, वह सड़क के शोर और वहाँ खड़ी लड़कियों को निहारता रहा, मगर उसका दिल ही जानता है कि वो अंदर से कितना डर रहा है। उस डर को अपने अंदर दबाए वह इधर-उधर देख तो रहा है, मगर उसे सब धुंधला नज़र आ रहा है।
उसे लग रहा है कि कही इस लड़की ने उसकी बेज़्ज़ती कर दी तो?? या फिर उसका मज़ाक बनाकर यहाँ से निकाल दिया तो... पर इसके उलट भी तो हो सकता है, क्या पता वो उसकी हर दुविधा दूर कर दें, फिर वैसे भी वो एक अनजान लड़की है, उसे कुछ पता चल भी गया तो कौन सी आफत आ जाएगी। अनजान लोगों के सामने पोल खुलने से रायता नहीं फैलता है।
अब चांदनी ने आवाज़ दी, “जिसे जग्गी लाया है, वो अंदर आ जाए।“ ‘उसका नाम जग्गी था, धीरे से यह बोलकर अंदर जाने को हुआ, मगर फिर रुक गया, “अब दोबारा आवाज आई , दरवाजा खुला है, अंदर आ जाओ।“ “श्याम तुम निडर हो,” यह बात खुद को याद दिलाते हुए, वह कमरे के अंदर घुसा। अंदर जाते ही उसने देखा कि कमरे के अंदर एक और कमरा बना हुआ है, फिर आवाज आई। “वही बैठे रहो, मैं दो मिनट में आ रहीं हूँ।" श्याम वहीं बिछे, पलंग पर बैठ गया। उसका गला सूखने लगा, इतने में चांदनी वहाँ आ गई और उसे गौर से देखने लगी